Thursday, August 4, 2011

मेरी पहली नज्म पेश है

उनकी रूह दे दे कर सितम आम हुयी जाती है
आबरू इश्क की आज फिर नीलाम हुयी जाती है

है तेरे शाम का भरोसा लेकिन
शाम से पहले मेरी शाम हुयी जाती है

कोशिशे जब्त ए सितम पर था बहुत नाज हमें
कोशिश ए जब्त भी नाकाम हुयी जाती है

दिल मेरा काँप रहा है की हवासकारों में
अब मुहब्बत मेरी बदनाम हुयी जाती है

उनकी रूह दे दे कर सितम आम हुयी जाती है
आबरू इश्क की आज फिर नीलाम हुयी जाती है




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